Friday, January 17, 2014

एक लेखक की कहानी

जब मन में संवादों का भूचाल आया हुआ हो, तो व्यक्त करने के लिए शब्दो का अकाल पड़ जाता है.....वो भी कई दिनों से अपनी डायरी खोलकर बैठता और थोड़ी देर बाद बिना कुछ लिखे ही बेचैन मन से उठ जाता। शब्दों की खोज में वो इतना डूब गया कि प्यार मोहब्बत नाते रिश्ते सब दूर हो गए.
आखिर एक दिन जब वो कामयाब हुआ तो उसने देखा कि उन शब्दों को पढ़ने वाला कोई नहीं बचा है.… वो थोड़ी देर तो खुश होता रहा और फिर दहाड़ें मारकर रोने लगा।
 आसपास जमा लोगों में से किसी ने फुसफुसाते हुए कहा, 'मैंने तो पहले ही कहा था कि ये पागल हो गया है.…'

2 comments:

  1. ग़ज़ब लिखा गया है, बहुत मर्मस्पर्शी, आज पहली बार आपका ब्लॉग देखा, आपकी रचनाओं से प्रभावित न होना नामुमकिन है

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