Sunday, January 12, 2014

छोटी सी एक ख्वाहिश

वो खुश थी के अपने प्यार से शादी कर रही है.... 
अब तक जो पल उन्हें घूमने या मिलने के लिए चुराने पड़ते थे, अब उसके ख़ज़ाने की चाबी उन्ही के पास रहा करेगी……वो खुश रहेंगे और  न मिल पाने की वजह से जो झगडे होते हैं, वो भी नहीं हुआ करेंगे...  
उसे लगता था की हर छुट्टी वाले दिन वे किसी नै जगह घूमने जाया करेंगे, आखिर दोनों घुमक्कड़ जो ठहरे। 
लेकिन शादी के बाद अब उसे सुबह शाम सिर्फ एक ही ख्याल आता है. दफ्तर जाने से पहले और लौटने के बाद खाने में क्या पकाना है..... छुट्टी वाले दिन घर के कोने में लगा कपड़ों का अम्बार और छत के कोने से झूलते जाले उसे आवाज़ देते ले लगते हैं.… और सारा दिन के काम और थकान के बाद उसके दिल में यही ख्वाहिश जागती है कि काश कल की  सुबह थोड़ी देर से हो तो कितना अच्छा रहेगा। वो भी रज़ाई में थोड़ी और देर दुबकी रह सकेगी, पहले की तरह.…

1 comment:

  1. ये ब्लॉग पढ़ने के बाद चिठ्ठाजगत की याद बेहद शिद्दत से सताने लगीं हैं, ऐसी स्तरीय रचनाएँ वहाँ ही देखने मिलतीं थीँ

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