चुन्नू को बहुत तेज़ भूख और प्यास लग रही थी और सामने बर्फ के गोले वाला भी खड़ा था.… दिन का वक़्त था सो सिग्नल पर गाड़ियां भी कम आ रही थीं। इतने में ही एक कार वहाँ आकर रुकी। चुन्नू ने पूरी बेचारगी चेहरे पर लाते हुए पैसे मांगने शुरू किये। कार के अंदर भी मुह ढके बैठी लड़की ने पर्स खोला और पांच का सिक्का निकलकर उसे दे दिया।
चुन्नू इतना खुश हुआ कि एक पल को उसकी प्यास ही उड़ गई। लेकिन कुछ ही पलों में सूखे गले से थूक निगलना मुश्किल हो गया। अब चुन्नू के सामने यक्ष प्रश्न ये था कि पास कि दूकान से पानी का पाउच और दो रूपए वाला बिस्कुट का पैकेट ख़रीदे या गोले वाले से के छोटा वाला गोला मांग ले। पेट और दिल कि जद्दोजहद में चुन्नू वहीँ खड़ा रह गया……
शरबानी। तुमने भूख और प्यास दोनों का जिक्र किया है। साथ में कार में मुंह ढके बैठी लड़की का भी। आखिर में चुन्नू के सामने मौजूद विकल्पों की भी बात लिखी है। दुनिया की निष्ठुरता, बेचारगी और विकल्प इन तीनों का तालमेल बिठाने की जरूरत है। निष्ठुरता इसलिए, क्योंकि चुन्नू को भीख मांगनी पड़ रही है। बेचारगी इसलिए, क्योंकि शहरों में सार्वजनिक नल कम ही दिखते हैं और विकल्प इसलिए, क्योंकि चुन्नू या तो पानी के पाउच से प्यास बुझाएगा या बर्फ के गोले से। प्यास हमेशा भूख से बड़ी होती है, यानी बिस्कुट का पैकेट बाद में आता है। मुझे लगता है कि थोड़ा और गहराई में मानवीय भावनाओं से भरपूर विश्लेषण होता तो कहानी और दमदार होती।
ReplyDeleteगरीबों की भूख और प्यास बहुत कम देख पाते हैं
ReplyDeleteप्रेरक प्रस्तुति
सुन्दर भाव
ReplyDeleteकरुणा और प्यार
दोनो को समाहित किया आपने
सादर